खुली हुई किताब हूँ मैं, ज़िन्दगी के मेज पर पड़ी.. जब चाहो पढ़ सकते हो मुझे, सिर्फ प्यार की नज़र से...
बिलकुल सही कहा आज कल कहाँ सच्चे दोस्त रहे शुभकामनायें
सच है ..पर हर दोस्त ऐसा हो ये जरूरी नहीं
बिलकुल सही कहा आज कल कहाँ सच्चे दोस्त रहे शुभकामनायें
ReplyDeleteसच है ..पर हर दोस्त ऐसा हो ये जरूरी नहीं
ReplyDelete