Wednesday 30 September 2009

मौत मांगता हूँ




"मौत मांगता हूँ अब, तो वो आती नहीं,
ज़िन्दगी से अब डर लगने लगा है मुझे,
क्या कहूँ कैसा हाल हो गया है अब मेरा,
हर कोई 'बेवफा' लगने लगा है मुझे..."

न हो सकी..


"महफिल तो सजा दी थी तुने,
इक चाँद की तरह,
पर अफ़सोस उसमे रौशनी,
सितारों जितनी भी न हो सकी..

दिल की....

दिल की बात को, होंठों पर लाने से क्या मिला ?
कहना ही क्या, मुफ्त में 'बदनाम' हो गए हैं...

Monday 28 September 2009

चले गए.......


"नज़रें मिलाने को कहा हमने उनसे,तो नज़रें झुका कर चले गए,'
'दिल लगाने को कहा हमने उनसे तो दिल तोड़ कर चले गए,'
'ऐसी भी क्या नज़र आये कमी मुझमे उनको,
'जो प्यार का इज़हार किया हमने उनसे तो मुंह मोड़ कर चले गए...."

Sunday 27 September 2009

खुद ही रोने आयेंगे...


"लाश पर अपनी,
 हम खुद ही कफ़न बिछायेंगे,
जब रोने वाला होगा न कोई,
तो खुद ही रोने आयेंगे..."

याद तुम्हारी है...


"दिन को चैन नहीं की हर वक्त 'याद' तुम्हारी है,'
'रात को भी आँखों में 'तस्वीर' सिर्फ तुम्हारी है,'
'कैसे पुकारूँ तुझको जो सुन ले तू दिल की 'सदा,'
'अब तो इस दिल में बसी हर इक ,'धड़कन' भी तुम्हारी है...."

गुफ्तगू......


"गैरों को बात करने का 'शौक' नहीं हमसे,
'अपने भी 'गुफ्तगू' करते नहीं है अब,
'क्या करे इस 'दिल' का 'चैन' कहीं पता नहीं,
'ज़िन्दगी भर यूँ ही 'तन्हा' रहेंगे हम......."

तम्मन्ना-ऐ-जुबान



"तम्मन्ना-ऐ-जुबान' तो है दिल में अभी भी,

पर 'खैर-ख्वाह' है वो जिसे सुनाना 'मुहाल' है मुझे...."

Saturday 26 September 2009

खुदा किस तरफ...



"कभी मौत चाहते है,
तो कभी तुझे,
अब देखते है खुदा
किस तरफ 'मेहरबान' होता है...."

सहारा है....



"तुम्हारी याद में लिखने बैठा हूँ,
'हर वक्त तसव्वुर तुम्हारा है,'
'इन निगाहों को हटाना ना मुझसे,
'मुझे बस इनका ही सहारा है...."

दीदार....



"करा दे 'यार', अपना 'दीदार',
'फिर इक बार मुझे,
अपनी 'सूरत' दिखा कर,
'मुझे' 'जीने' की 'इजाज़त' दे दे..."

आजकल.......



"बात करने में वो, 'इतराते' हैं आजकल,'
'नज़र' मिलाने से, 'घबराते' हैं आजकल,'
'न जाने अब क्या हो गया है उनको,'
'हर 'सच' से वो, 'कतराते' हैं आजकल......."


नाम....

"किस नाम से पुकारूं,
 'तुझको' अब मैं,

'पत्थर'
दिल कहूँ ,

या कहूँ
'बेवफा'...."

वफा का असर ..

"ये मेरी 'वफा' का असर है,
                                  या तेरी 'जफ़ा' का......
'जब भी देखो राह पर,
                                'अकेला' भटकता हूँ...."

Friday 25 September 2009

दोस्त........


ज़िन्दगी में आते है कई मोड़ ऐसे,
जिन पर सिर्फ इक दोस्त दिखाई देता है...
चले जाते है बिना सोचे समझे उसकी तरफ,
और बाद में फिर दगा भी वही देता है...

आता है हमें.........


दिल क जख्मों को छुपाना आता है हमें,
उनकी बेवफाईयों को दबाना आता है हमें,
ये सब हो जाता है बड़ी आसानी से,
  क्योंकि अब भी मुस्कुराना आता है हमें...

क्या सुनना चाहोगे?


रोज कहते हो की कुछ सुना दो हमको,
क्या सुनना चाहोगे ये बता दो हमको....
ग़म ए दर्द सुनाएं या करे ख़ुशी का इज़हार,
क्यूंकि सब कुछ तो दिया है तुमने ही हमको......

Thursday 24 September 2009

नहीं रहता ता-उम्र तक....


नहीं रहता ता-उम्र तक हमसफ़र कोई,
गर मालूम होता तो दिल को लुटाता न मैं.....
तरसना होगा मुझे बाद-ए-मौत भी दीदार को उनके,
खबर होती तो उनकी रह-गुजर में जाता न मैं........

दूरी क्यों है??????????




पास रह कर भी दिलों में दूरी क्यों है,
मुझसे दूर रहने की तुम्हारी ये मजबूरी क्यों है,
समझ सको तो समझ लो इन आँखों की जुबान,
हर इक बात लब से कहें ये जरुरी क्यों है.

Wednesday 23 September 2009

अकेला...



अकेला आया था,अकेला हूँ, अकेला ही चला जाऊँगा,
कोई नहीं लगता जिसका मैं साथ पा जाऊँगा,
पूरी ज़िन्दगी लोगों ने मुझे आंसू ही दिए,
फिर भी जाते-जाते मैं लोगों को हंसा जाऊँगा.....

बिस्तर...


"हर रात बिस्तर मेरा,
शिकायत करता है मुझसे...
हर सुबह वो रो-रो कर,
सो जाता है तन्हा...."