किसी दिन तो मेरे हाथों को तेरे हाथों का एहसास हो,
किसी दिन तो ऐसा हो की सिर्फ तू ही मेरे पास हो...
फिर उस वक़्त बताऊँ तुम्हे की इस 'मन' के मन में क्या है,
तुम कितने मेरे अपने हो, तुम कितने मेरे ख़ास हो...
खुली हुई किताब हूँ मैं, ज़िन्दगी के मेज पर पड़ी.. जब चाहो पढ़ सकते हो मुझे, सिर्फ प्यार की नज़र से...