खुली हुई किताब हूँ मैं, ज़िन्दगी के मेज पर पड़ी.. जब चाहो पढ़ सकते हो मुझे, सिर्फ प्यार की नज़र से...
बहुत अच्छी पंक्तियाँ. ...
बहुत अच्छी पंक्तियाँ. ...
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