खुली हुई किताब हूँ मैं, ज़िन्दगी के मेज पर पड़ी.. जब चाहो पढ़ सकते हो मुझे, सिर्फ प्यार की नज़र से...
अच्छी पोस्ट!--मातृदिवस की शुभकामनाएँ!
Well said ...
संक्षेप में बहुत कुछ कह दिया आपने |आशा
आज 23/07/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!
वाह ... अनुपम भाव
बहुत बहुत सुन्दर:-)
बहुत सुन्दर मानव ..कच्चे धागे से जंजीर तक का सफर रिश्ते की दृढ़ता का द्योतक है...
d
waah .....sahi kiya ...
Very informative and useful Post . lost of love And respect .HindiGuitarIndia
Having read your article. I appreciate you are taking the time and the effort for putting this useful information together.
अच्छी पोस्ट!
ReplyDelete--
मातृदिवस की शुभकामनाएँ!
Well said ...
ReplyDeleteसंक्षेप में बहुत कुछ कह दिया आपने |
ReplyDeleteआशा
आज 23/07/2012 को आपकी यह पोस्ट नयी पुरानी हलचल पर (दीप्ति शर्मा जी की प्रस्तुति में) लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
ReplyDeleteधन्यवाद!
वाह ... अनुपम भाव
ReplyDeleteबहुत बहुत सुन्दर:-)
ReplyDeleteबहुत सुन्दर मानव ..
ReplyDeleteकच्चे धागे से जंजीर तक का सफर रिश्ते की दृढ़ता का द्योतक है...
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