मेरी शायरी..
खुली हुई किताब हूँ मैं, ज़िन्दगी के मेज पर पड़ी.. जब चाहो पढ़ सकते हो मुझे, सिर्फ प्यार की नज़र से...
Saturday, 12 February 2011
तेरा एहसास
तू दूर होकर भी हर पल मेरे पास है
जाने क्यूँ आज फिर भी तेरा एहसास है
टूट चुके हैं जब सब तिलिस्म इस बन्धन के
तेरी तस्वीर फिर भी लगती क्यूँ खास है.....
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)