मेरी शायरी..
खुली हुई किताब हूँ मैं, ज़िन्दगी के मेज पर पड़ी.. जब चाहो पढ़ सकते हो मुझे, सिर्फ प्यार की नज़र से...
Thursday 16 December 2010
किसी दिन तो मेरे हाथों को तेरे हाथों का एहसास हो,
किसी दिन तो ऐसा हो की सिर्फ तू ही मेरे पास हो...
फिर उस वक़्त बताऊँ तुम्हे की इस 'मन' के मन में क्या है,
तुम कितने मेरे अपने हो, तुम कितने मेरे ख़ास हो...
Tuesday 14 December 2010
मेरा कहीं कुछ ग़ुम है शायद,
तुम्हे मिले तो मुझे पता देना,
अब की बार रखूँगा उसे सहज कर,
हाथ आये तो फिर नहीं जाने देना.....
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